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"प्रयत्न / नरेन्द्र मोदी / अंजना संधीर" के अवतरणों में अंतर

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प्रयत्न 
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सर झुकाने की बारी आये  
 
सर झुकाने की बारी आये  
 
ऐसा मैं कभी नहीं करूँगा  
 
ऐसा मैं कभी नहीं करूँगा  
 
पर्वत की तरह अचल रहूँ  
 
पर्वत की तरह अचल रहूँ  
 
व नदी के बहाव सा निर्मल  
 
व नदी के बहाव सा निर्मल  
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शृंगारित शब्द नहीं मेरे  
 
शृंगारित शब्द नहीं मेरे  
 
नाभि से प्रकटी वाणी हूँ  
 
नाभि से प्रकटी वाणी हूँ  
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मेरे एक एक कर्म के पीछे  
 
मेरे एक एक कर्म के पीछे  
 
ईश्वर का हो आशीर्वाद
 
ईश्वर का हो आशीर्वाद
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15:22, 11 जनवरी 2015 के समय का अवतरण

सर झुकाने की बारी आये
ऐसा मैं कभी नहीं करूँगा
पर्वत की तरह अचल रहूँ
व नदी के बहाव सा निर्मल

शृंगारित शब्द नहीं मेरे
नाभि से प्रकटी वाणी हूँ

मेरे एक एक कर्म के पीछे
ईश्वर का हो आशीर्वाद