"अब तुम आग़ोश-ए-तसव्वुर / कैफ़ी आज़मी" के अवतरणों में अंतर
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− | मुझ से बिखरे हुये गेसू नहीं देखे जाते | + | <poem> |
− | सुर्ख़ आँखों की क़सम काँपती पलकों की क़सम | + | अब तुम आग़ोश-ए-तसव्वुर में भी आया न करो |
− | थर-थराते हुये आँसू नहीं देखे जाते | + | मुझ से बिखरे हुये गेसू नहीं देखे जाते |
+ | सुर्ख़ आँखों की क़सम काँपती पलकों की क़सम | ||
+ | थर-थराते हुये आँसू नहीं देखे जाते | ||
− | अब तुम आग़ोश-ए-तसव्वुर में भी आया न करो | + | अब तुम आग़ोश-ए-तसव्वुर<ref>सपनों का आलिंगन</ref> में भी आया न करो |
− | छूट जाने दो जो दामन-ए-वफ़ा छूट गया | + | छूट जाने दो जो दामन-ए-वफ़ा छूट गया |
− | क्यूँ ये लग़ज़ीदा ख़रामी ये पशेमाँ नज़री < | + | क्यूँ ये लग़ज़ीदा ख़रामी<ref>सोच-सोच के चलना </ref>ये पशेमाँ नज़री<ref>पछतावे से भरी निगाह</ref> |
− | तुम ने तोड़ा नहीं रिश्ता-ए-दिल टूट गया | + | तुम ने तोड़ा नहीं रिश्ता-ए-दिल टूट गया |
− | अब तुम आग़ोश-ए-तसव्वुर में भी आया न करो | + | अब तुम आग़ोश-ए-तसव्वुर में भी आया न करो |
− | मेरी आहों से ये रुख़सार न कुम्हला जायें | + | मेरी आहों से ये रुख़सार<ref>गाल </ref> न कुम्हला जायें |
− | + | ढूँढती होगी तुम्हें रस में नहाई हुई रात | |
− | जाओ कलियाँ न कहीं सेज की मुरझा जायें | + | जाओ कलियाँ न कहीं सेज की मुरझा जायें |
− | अब तुम आग़ोश-ए-तसव्वुर में भी आया न करो | + | अब तुम आग़ोश-ए-तसव्वुर में भी आया न करो |
− | मैं इस उजड़े हुये पहलू में बिठा लूँ न कहीं | + | मैं इस उजड़े हुये पहलू में बिठा लूँ न कहीं |
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11:38, 16 जनवरी 2015 के समय का अवतरण
अब तुम आग़ोश-ए-तसव्वुर में भी आया न करो
मुझ से बिखरे हुये गेसू नहीं देखे जाते
सुर्ख़ आँखों की क़सम काँपती पलकों की क़सम
थर-थराते हुये आँसू नहीं देखे जाते
अब तुम आग़ोश-ए-तसव्वुर<ref>सपनों का आलिंगन</ref> में भी आया न करो
छूट जाने दो जो दामन-ए-वफ़ा छूट गया
क्यूँ ये लग़ज़ीदा ख़रामी<ref>सोच-सोच के चलना </ref>ये पशेमाँ नज़री<ref>पछतावे से भरी निगाह</ref>
तुम ने तोड़ा नहीं रिश्ता-ए-दिल टूट गया
अब तुम आग़ोश-ए-तसव्वुर में भी आया न करो
मेरी आहों से ये रुख़सार<ref>गाल </ref> न कुम्हला जायें
ढूँढती होगी तुम्हें रस में नहाई हुई रात
जाओ कलियाँ न कहीं सेज की मुरझा जायें
अब तुम आग़ोश-ए-तसव्वुर में भी आया न करो
मैं इस उजड़े हुये पहलू में बिठा लूँ न कहीं
लब-ए-शीरीं<ref>मधुर होंठ</ref> का नमक आरिज़-ए-नमकीं<ref>नमकीन गाल </ref>की मिठास
अपने तरसे हुये होंठों में चुरा लूँ न कहीं