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"उरजौ ना स्याम कही मानों / ईसुरी" के अवतरणों में अंतर
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16:30, 1 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण
बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
उरजौ ना स्याम कही मानों,
फट जै हैं, चुनरिया ना तानों।
इत मथरा उत गोकल नगरी,
बीच बसत है बरसानो।
रजा कंस कौ राज बुरओ है,
मथरा बीच रूपौ थानों।
मैं बेटी वृषभान लला की,
काऊकी ईसुर ना जानों।