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"कई रेती में पीपल छाया / मालवी" के अवतरणों में अंतर

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कई रेती में पीपल छाया
 
कई रेती में पीपल छाया

15:21, 29 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कई रेती में पीपल छाया
कई गेरा कुंडा खणाया
हो म्हारा गेरा गजानन्द आया
कई दाऊजी रे मन भाया
कई माता बई हरक बवाया
म्हारा गेरा गजानन्द आया
कई काकोजी रे मन भाया
कई काकीजी मोतीड़े बदाय।
कई भैया रे मन भाया
कई भाभी बई कंकूड़े बदाया
कई मामाजी रा मन भाया
कई मामाजी हिदड़े बदाया