भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"परथम गनेस पद बंदि के, कुसल मनावहु हे / मगही" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मगही |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= }} {{KKCatSohar}}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 9: पंक्ति 9:
 
<poem>
 
<poem>
 
परथम गनेस पद बंदि के, कुसल मनावहु हे।
 
परथम गनेस पद बंदि के, कुसल मनावहु हे।
ललना, बिघन हरन गननायक, सोहर गावहु हे।।1।।
+
ललना, बिघन हरन गननायक, सोहर गावहु हे॥1॥
परथम मास जब बीतल, <ref>बीत गया</ref> दोसर नियरायल <ref>नजदीक आया</ref> हे।
+
परथम मास जब बीतल<ref>बीत गया</ref>, दोसर नियरायल<ref>नजदीक आया</ref> हे।
ललना, तेसर मास जब आयल, चित फरियाल <ref>मिचली आना</ref> हे।।2।।
+
ललना, तेसर मास जब आयल, चित फरियाल<ref>मिचली आना</ref> हे॥2॥
चउठा मास चढ़ि आयल, पचमा बितिये <ref>बीत गया</ref> गेल हे।
+
चउठा मास चढ़ि आयल, पचमा बितिये<ref>बीत गया</ref> गेल हे।
ललना, छठे मास निरायल, गरम जनायल <ref>मालूम पड़ने लगा</ref> हे।।3।।
+
ललना, छठे मास निरायल, गरम जनायल<ref>मालूम पड़ने लगा</ref> हे॥3॥
 
सतमा मास जब आयल, अठमा नियरायल हे।
 
सतमा मास जब आयल, अठमा नियरायल हे।
ललना, नवमा मास जब आयल, होरिला <ref>लड़का</ref> जलम <ref>जन्म</ref> भेल हे।।4।।
+
ललना, नवमा मास जब आयल, होरिला<ref>लड़का</ref> जलम<ref>जन्म</ref> भेल हे॥4॥
भादो के रइनी <ref>रात</ref> भेयामन, <ref>भयावनी</ref> बिजुली चमक उठे हे।
+
भादो के रइनी<ref>रात</ref> भेयामन,<ref>भयावनी</ref> बिजुली चमक उठे हे।
ललना, तेहि छन परगटे नंदलाल, महल उठे सोहर हे।।5।।
+
ललना, तेहि छन परगटे नंदलाल, महल उठे सोहर हे॥5॥
चन्नन लकड़ी कटायम, <ref>कटवाऊँगी</ref> मंगल गायम <ref>गाऊँगी</ref> हे।
+
चन्नन लकड़ी कटायम<ref>कटवाऊँगी</ref>, मंगल गायम<ref>गाऊँगी</ref> हे।
ललना, अरबे <ref>अरब की संख्या में</ref> से दरबे <ref>द्रव्य</ref> लुटायम, सभ सुख पायम <ref>पाऊँगी</ref> हे।।6।।
+
ललना, अरबे<ref>अरब की संख्या में</ref> से दरबे<ref>द्रव्य</ref> लुटायम, सभ सुख पायम<ref>पाऊँगी</ref> हे॥6॥
सासु के देम <ref>दूँगी</ref> तीसी तेलवा, ननद केरा गड़ी <ref>नारियल</ref> तेल हे।
+
सासु के देम<ref>दूँगी</ref> तीसी तेलवा, ननद केरा गड़ी<ref>नारियल</ref> तेल हे।
गोतनी के तेल-फुलेत, गोतिनियाँ के देल-लेल <ref>देना-लेना</ref> हे।।7।।
+
गोतनी के तेल-फुलेत, गोतिनियाँ के देल-लेल<ref>देना-लेना</ref> हे॥7॥
सासु के देम खटोलवा, <ref>छोटी खाट</ref> ननदी मचोला <ref>मचिया</ref> देम हे।
+
सासु के देम खटोलवा<ref>छोटी खाट</ref>, ननदी मचोला<ref>मचिया</ref> देम हे।
ललना, गोतनी के लाल पलँगिया, हमहुँ पइँचा <ref>पेंचा-हथफेर</ref> लेम <ref>लूँगी</ref> हे।।8।।
+
ललना, गोतनी के लाल पलँगिया, हमहुँ पइँचा<ref>पेंचा-हथफेर</ref> लेम<ref>लूँगी</ref> हे॥8॥
सासु के देम इयरि-पियरि <ref>पीले रंग में रंगे वस्त्र</ref> ननदिया के साड़ी देम हे।
+
सासु के देम इयरि-पियरि<ref>पीले रंग में रंगे वस्त्र</ref> ननदिया के साड़ी देम हे।
ललना, गोतनी के लहँगा-पटोर, <ref>गोटा-पाटा से जड़ा हुआ रेशमी लहँगा</ref> हमहुँ कबहुँ <ref>कभी</ref> पइँचा लेम हे।।9।।
+
ललना, गोतनी के लहँगा-पटोर<ref>गोटा-पाटा से जड़ा हुआ रेशमी लहँगा</ref>, हमहुँ कबहुँ<ref>कभी</ref> पइँचा लेम हे॥9॥
 
</poem>
 
</poem>
 
{{KKMeaning}}
 
{{KKMeaning}}

13:34, 11 जून 2015 के समय का अवतरण

मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

परथम गनेस पद बंदि के, कुसल मनावहु हे।
ललना, बिघन हरन गननायक, सोहर गावहु हे॥1॥
परथम मास जब बीतल<ref>बीत गया</ref>, दोसर नियरायल<ref>नजदीक आया</ref> हे।
ललना, तेसर मास जब आयल, चित फरियाल<ref>मिचली आना</ref> हे॥2॥
चउठा मास चढ़ि आयल, पचमा बितिये<ref>बीत गया</ref> गेल हे।
ललना, छठे मास निरायल, गरम जनायल<ref>मालूम पड़ने लगा</ref> हे॥3॥
सतमा मास जब आयल, अठमा नियरायल हे।
ललना, नवमा मास जब आयल, होरिला<ref>लड़का</ref> जलम<ref>जन्म</ref> भेल हे॥4॥
भादो के रइनी<ref>रात</ref> भेयामन,<ref>भयावनी</ref> बिजुली चमक उठे हे।
ललना, तेहि छन परगटे नंदलाल, महल उठे सोहर हे॥5॥
चन्नन लकड़ी कटायम<ref>कटवाऊँगी</ref>, मंगल गायम<ref>गाऊँगी</ref> हे।
ललना, अरबे<ref>अरब की संख्या में</ref> से दरबे<ref>द्रव्य</ref> लुटायम, सभ सुख पायम<ref>पाऊँगी</ref> हे॥6॥
सासु के देम<ref>दूँगी</ref> तीसी तेलवा, ननद केरा गड़ी<ref>नारियल</ref> तेल हे।
गोतनी के तेल-फुलेत, गोतिनियाँ के देल-लेल<ref>देना-लेना</ref> हे॥7॥
सासु के देम खटोलवा<ref>छोटी खाट</ref>, ननदी मचोला<ref>मचिया</ref> देम हे।
ललना, गोतनी के लाल पलँगिया, हमहुँ पइँचा<ref>पेंचा-हथफेर</ref> लेम<ref>लूँगी</ref> हे॥8॥
सासु के देम इयरि-पियरि<ref>पीले रंग में रंगे वस्त्र</ref> ननदिया के साड़ी देम हे।
ललना, गोतनी के लहँगा-पटोर<ref>गोटा-पाटा से जड़ा हुआ रेशमी लहँगा</ref>, हमहुँ कबहुँ<ref>कभी</ref> पइँचा लेम हे॥9॥

शब्दार्थ
<references/>