"साँवन के सहनइया भदोइया के किच-किच ए / मगही" के अवतरणों में अंतर
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− | साँवन के सहनइया <ref>शहनाई। सावन की रिमझिम, दादुर, मोर, पपीहे, झींगुर आदि की सम्मिलित ध्वनि के लिए शहनाई शब्द का प्रयोग किया गया है। कहीं-कहीं ‘सहनाइया’ की जगह पर ‘समनइया’ भी आया है। भी.आ. गी. में ‘सवनइया’ पाठ है। ‘सवनइया’ या ‘समनइया’ का तात्पर्य है-‘सावनी समाँ</ref> भदोइया <ref>भाद्र मास</ref> के किच-किच <ref>कीच-काच</ref> ए। | + | साँवन के सहनइया<ref>शहनाई। सावन की रिमझिम, दादुर, मोर, पपीहे, झींगुर आदि की सम्मिलित ध्वनि के लिए शहनाई शब्द का प्रयोग किया गया है। कहीं-कहीं ‘सहनाइया’ की जगह पर ‘समनइया’ भी आया है। भी.आ. गी. में ‘सवनइया’ पाठ है। ‘सवनइया’ या ‘समनइया’ का तात्पर्य है-‘सावनी समाँ</ref> भदोइया<ref>भाद्र मास</ref> के किच-किच<ref>कीच-काच</ref> ए। |
− | सुगा-सुगइया <ref>शुक-शुकी</ref> के पेट, <ref>गर्भ</ref> बेदन <ref>वेदना</ref> कोई न जानये हे। | + | सुगा-सुगइया<ref>शुक-शुकी</ref> के पेट,<ref>गर्भ</ref> बेदन<ref>वेदना</ref> कोई न जानये हे। |
− | सुगा-सुगइया के पेट, कोइली दुख जानये | + | सुगा-सुगइया के पेट, कोइली दुख जानये हे॥1॥ |
अँगना बहारइत चेरिया, त सुनहऽ बचन मोरा हे। | अँगना बहारइत चेरिया, त सुनहऽ बचन मोरा हे। | ||
− | चेरिया, मोरा परभु बइठल बँगलवा, <ref>बँगला में</ref> से जाइके बोलाइ देहु | + | चेरिया, मोरा परभु बइठल बँगलवा,<ref>बँगला में</ref> से जाइके बोलाइ देहु हे॥2॥ |
− | जुगवा <ref>जुआ</ref> खेलइते <ref>खेलते हुए</ref> तोंहों बबुआ, त सुनहऽ बचन मोरा हे। | + | जुगवा<ref>जुआ</ref> खेलइते<ref>खेलते हुए</ref> तोंहों बबुआ, त सुनहऽ बचन मोरा हे। |
− | बबुआ, रउरे धनि दरदे बेयाकुल, रउरा के बोलाहट <ref>बुलावा</ref> | + | बबुआ, रउरे धनि दरदे बेयाकुल, रउरा के बोलाहट<ref>बुलावा</ref> हे॥3॥ |
− | पसवा त गिरलइ <ref>गिर गया</ref> बेल तर, <ref>बिल्व वृक्ष के नीचे</ref> अउरो <ref>और</ref> बबूर तर हे। | + | पसवा त गिरलइ<ref>गिर गया</ref> बेल तर,<ref>बिल्व वृक्ष के नीचे</ref> अउरो<ref>और</ref> बबूर तर हे। |
− | ललना, धाइ <ref>दौड़कर</ref> पइसल गजओबर, <ref>चुहान, प्रसूति गृह</ref> कहऽ धनि कूसल | + | ललना, धाइ<ref>दौड़कर</ref> पइसल गजओबर,<ref>चुहान, प्रसूति गृह</ref> कहऽ धनि कूसल हे॥4॥ |
− | डाँड़ मोरा फाट हे कसइली जाके, ओटिया <ref>उदर के नीचे का पेडू वाला भाग</ref> चिल्हकि <ref>सूल की तरह रह-रहकर दर्द करना</ref> मारे हे। | + | डाँड़ मोरा फाट हे कसइली जाके, ओटिया<ref>उदर के नीचे का पेडू वाला भाग</ref> चिल्हकि<ref>सूल की तरह रह-रहकर दर्द करना</ref> मारे हे। |
− | परभुजी, बारह बरिसे मइया रूसल, सेहो बउँसी लाबह <ref>मना लाओ</ref> | + | परभुजी, बारह बरिसे मइया रूसल, सेहो बउँसी लाबह<ref>मना लाओ</ref> हे॥5॥ |
मचिया बइठल तोहें मइया, त सुनहऽ बचन मोरा हे। | मचिया बइठल तोहें मइया, त सुनहऽ बचन मोरा हे। | ||
− | मइया, तोर पुतहू <ref>पताहू, वधू</ref> दरद बेयाकुल, तोरा के बोलाहट | + | मइया, तोर पुतहू<ref>पताहू, वधू</ref> दरद बेयाकुल, तोरा के बोलाहट हे॥6॥ |
− | तुहूँ त हऽ मोर बबुआ, त रउरो बंसराखन <ref>वंशरक्षक</ref> हे। | + | तुहूँ त हऽ मोर बबुआ, त रउरो बंसराखन<ref>वंशरक्षक</ref> हे। |
− | बबुआ, तोर धनि बचन कुठार, बोलिया करेजे साले | + | बबुआ, तोर धनि बचन कुठार, बोलिया करेजे साले हे॥7॥ |
− | सउरिया <ref>प्रसूति गृह</ref> बइठल तोहें धनिया त सुनहऽ बचन मोरा हे। | + | सउरिया<ref>प्रसूति गृह</ref> बइठल तोहें धनिया त सुनहऽ बचन मोरा हे। |
− | धनि, बारह बरिस मइया रूसल, कहल नहिं मानये | + | धनि, बारह बरिस मइया रूसल, कहल नहिं मानये हे॥8॥ |
− | लेहु परभु नाक के बेसरिया <ref>नकबेसर, नाक का एक आभूषण</ref> त मइया के समद <ref>समदना, मनना</ref> दहु हे। | + | लेहु परभु नाक के बेसरिया<ref>नकबेसर, नाक का एक आभूषण</ref> त मइया के समद<ref>समदना, मनना</ref> दहु हे। |
− | परभुजी, बारहे बरिस चाची रूसल, उनखे <ref>उनको</ref> समद दहु | + | परभुजी, बारहे बरिस चाची रूसल, उनखे<ref>उनको</ref> समद दहु हे॥9॥ |
मचिया बइठल तोहे चाची, त सुनहऽ बचन मोरा हे। | मचिया बइठल तोहे चाची, त सुनहऽ बचन मोरा हे। | ||
− | चाची, तोर पुतहू दरद बेयाकुल, तोरा के बोलाहट | + | चाची, तोर पुतहू दरद बेयाकुल, तोरा के बोलाहट हे॥10॥ |
− | सामन <ref>श्रावण</ref> के समनइया <ref>सावनी समाँ</ref> तो, भादो के किच-किच हे। | + | सामन<ref>श्रावण</ref> के समनइया<ref>सावनी समाँ</ref> तो, भादो के किच-किच हे। |
− | बबुआ, वह हकइ <ref>बह रही है</ref> पुरबा से पछेया, जड़इया <ref>जाड़ा</ref> मोरा लागये | + | बबुआ, वह हकइ<ref>बह रही है</ref> पुरबा से पछेया, जड़इया<ref>जाड़ा</ref> मोरा लागये हे॥11॥ |
घड़ी रात गेलइ पहर रात होरिला जलम लेल हे। | घड़ी रात गेलइ पहर रात होरिला जलम लेल हे। | ||
− | ललना, बज लगल अनन्द बधावा, महल उठे सोहर | + | ललना, बज लगल अनन्द बधावा, महल उठे सोहर हे॥12॥ |
अँगना बहारइत चेरिया त सुनहऽ बचन मोरा हे। | अँगना बहारइत चेरिया त सुनहऽ बचन मोरा हे। | ||
− | चेरिया, झट दए बाँटऽन <ref>बाँटो न</ref> सोंठउरा <ref>एक प्रकार का लड्डू, जो सोंठ, चावल के आटे आदि से बनता है, जो प्रसूति को खाने के लिए दिया जाता है तथा पड़ोसियों में बाँटा जाता है</ref> से होरिला जलम लेल | + | चेरिया, झट दए बाँटऽन<ref>बाँटो न</ref> सोंठउरा<ref>एक प्रकार का लड्डू, जो सोंठ, चावल के आटे आदि से बनता है, जो प्रसूति को खाने के लिए दिया जाता है तथा पड़ोसियों में बाँटा जाता है</ref> से होरिला जलम लेल हे॥13॥ |
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14:06, 11 जून 2015 के समय का अवतरण
साँवन के सहनइया<ref>शहनाई। सावन की रिमझिम, दादुर, मोर, पपीहे, झींगुर आदि की सम्मिलित ध्वनि के लिए शहनाई शब्द का प्रयोग किया गया है। कहीं-कहीं ‘सहनाइया’ की जगह पर ‘समनइया’ भी आया है। भी.आ. गी. में ‘सवनइया’ पाठ है। ‘सवनइया’ या ‘समनइया’ का तात्पर्य है-‘सावनी समाँ</ref> भदोइया<ref>भाद्र मास</ref> के किच-किच<ref>कीच-काच</ref> ए।
सुगा-सुगइया<ref>शुक-शुकी</ref> के पेट,<ref>गर्भ</ref> बेदन<ref>वेदना</ref> कोई न जानये हे।
सुगा-सुगइया के पेट, कोइली दुख जानये हे॥1॥
अँगना बहारइत चेरिया, त सुनहऽ बचन मोरा हे।
चेरिया, मोरा परभु बइठल बँगलवा,<ref>बँगला में</ref> से जाइके बोलाइ देहु हे॥2॥
जुगवा<ref>जुआ</ref> खेलइते<ref>खेलते हुए</ref> तोंहों बबुआ, त सुनहऽ बचन मोरा हे।
बबुआ, रउरे धनि दरदे बेयाकुल, रउरा के बोलाहट<ref>बुलावा</ref> हे॥3॥
पसवा त गिरलइ<ref>गिर गया</ref> बेल तर,<ref>बिल्व वृक्ष के नीचे</ref> अउरो<ref>और</ref> बबूर तर हे।
ललना, धाइ<ref>दौड़कर</ref> पइसल गजओबर,<ref>चुहान, प्रसूति गृह</ref> कहऽ धनि कूसल हे॥4॥
डाँड़ मोरा फाट हे कसइली जाके, ओटिया<ref>उदर के नीचे का पेडू वाला भाग</ref> चिल्हकि<ref>सूल की तरह रह-रहकर दर्द करना</ref> मारे हे।
परभुजी, बारह बरिसे मइया रूसल, सेहो बउँसी लाबह<ref>मना लाओ</ref> हे॥5॥
मचिया बइठल तोहें मइया, त सुनहऽ बचन मोरा हे।
मइया, तोर पुतहू<ref>पताहू, वधू</ref> दरद बेयाकुल, तोरा के बोलाहट हे॥6॥
तुहूँ त हऽ मोर बबुआ, त रउरो बंसराखन<ref>वंशरक्षक</ref> हे।
बबुआ, तोर धनि बचन कुठार, बोलिया करेजे साले हे॥7॥
सउरिया<ref>प्रसूति गृह</ref> बइठल तोहें धनिया त सुनहऽ बचन मोरा हे।
धनि, बारह बरिस मइया रूसल, कहल नहिं मानये हे॥8॥
लेहु परभु नाक के बेसरिया<ref>नकबेसर, नाक का एक आभूषण</ref> त मइया के समद<ref>समदना, मनना</ref> दहु हे।
परभुजी, बारहे बरिस चाची रूसल, उनखे<ref>उनको</ref> समद दहु हे॥9॥
मचिया बइठल तोहे चाची, त सुनहऽ बचन मोरा हे।
चाची, तोर पुतहू दरद बेयाकुल, तोरा के बोलाहट हे॥10॥
सामन<ref>श्रावण</ref> के समनइया<ref>सावनी समाँ</ref> तो, भादो के किच-किच हे।
बबुआ, वह हकइ<ref>बह रही है</ref> पुरबा से पछेया, जड़इया<ref>जाड़ा</ref> मोरा लागये हे॥11॥
घड़ी रात गेलइ पहर रात होरिला जलम लेल हे।
ललना, बज लगल अनन्द बधावा, महल उठे सोहर हे॥12॥
अँगना बहारइत चेरिया त सुनहऽ बचन मोरा हे।
चेरिया, झट दए बाँटऽन<ref>बाँटो न</ref> सोंठउरा<ref>एक प्रकार का लड्डू, जो सोंठ, चावल के आटे आदि से बनता है, जो प्रसूति को खाने के लिए दिया जाता है तथा पड़ोसियों में बाँटा जाता है</ref> से होरिला जलम लेल हे॥13॥