भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पुरनिमाक चान सँ अनुरोध / राजकमल चौधरी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजकमल चौधरी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

11:13, 5 अगस्त 2015 के समय का अवतरण

जागल छी, कती राति बीतल अछि-ज्ञात ने होइए किछुओ
भुक-भुक कए दू बेर मिझा गेल लालटेन
अन्धकार अछि, अन्धकार पसरल अछ चारू कात
गहन, निस्तब्ध! मुदा, बाहर आँगनमे
चमचम चमकए चानक श्वेत इजोत
की नइँ खिड़कीसँ हुलकी मारत दुइओ छन के लेल
पूरनिमा के चान?
जागल छी, कती राति बीतल अछि-ज्ञात ने होइए किछओ
रूसल प्रिया जकाँ नइँ करऽ मान-अभिमान
चान हे, आबऽ, लालटेन बदलामे दान दएह किछु ज्योति
दुइए पाँती लिखबा लेल आब बचल अछि चिट्ठी
अप्पन रानीकेँ!