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"प्रवास / राजकमल चौधरी" के अवतरणों में अंतर
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Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
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फूल-पात नहि चिन्हैत छी | फूल-पात नहि चिन्हैत छी | ||
बूझल नहि अछि | बूझल नहि अछि | ||
− | वृक्ष सभक | + | वृक्ष सभक, लोक सभक नाम बूझल नहि अछि |
− | लोक सभक | + | |
− | नाम बूझल नहि अछि | + | |
एतेक दिन एहि गाममे | एतेक दिन एहि गाममे | ||
− | + | अयना भय गेल | |
− | + | मोन जेना कारी-सन अयना भय गेल | |
− | हुनका चिन्हबाक चेष्टा करी | + | हुनका चिन्हबाक चेष्टा करी, |
− | + | एखनहुँ ई सूझल नहि | |
− | आबहु होइए | + | आबहु होइए- |
एहि प्रकृतिसँ, एहि स्त्रीसँ, एहि नदीसँ | एहि प्रकृतिसँ, एहि स्त्रीसँ, एहि नदीसँ | ||
− | अपरिचिते रहि जाइ | + | अपरिचिते रहि जाइ; एहि गामसँ धामसँ |
− | प्रवासी | + | प्रवासी होयवाक सभटा दुख, सभटा वेदना- |
− | हम एकसरे सहि जाइ | + | हम एकसरे सहि जाइ, अपरिचिते रहि जाइ |
− | अपरिचिते रहि जाइ | + | एतेक दिन एहि गाममे |
− | एतेक दिन एहि गाममे | + | अयना भय गेल, |
मुदा, चिन्हार नहि अछि विकालक | मुदा, चिन्हार नहि अछि विकालक | ||
− | एहि अन्हारमे | + | एहि अन्हारमे; |
− | अपने घर | + | अपने घर-आँगन। |
− | अपने घर आँगनमे | + | अपने घर-आँगनमे चिकरइ छी |
हम अपने टा नाम | हम अपने टा नाम | ||
− | प्रवासी | + | प्रवासी, नगरवासी छी हम-ई उपराग |
− | नगरवासी छी हम | + | दैत अछि अपने-टा गाम |
− | ई | + | अपने-टा गाम |
− | अपने टा गाम | + | |
+ | ''(रामकृष्ण झा ‘किसुन’ सम्पादित ‘मैथिलीक नव कविता’सँ: 1997)'' | ||
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11:50, 5 अगस्त 2015 के समय का अवतरण
अपने गाछीक
फूल-पात नहि चिन्हैत छी
बूझल नहि अछि
वृक्ष सभक, लोक सभक नाम बूझल नहि अछि
एतेक दिन एहि गाममे
अयना भय गेल
मोन जेना कारी-सन अयना भय गेल
हुनका चिन्हबाक चेष्टा करी,
एखनहुँ ई सूझल नहि
आबहु होइए-
एहि प्रकृतिसँ, एहि स्त्रीसँ, एहि नदीसँ
अपरिचिते रहि जाइ; एहि गामसँ धामसँ
प्रवासी होयवाक सभटा दुख, सभटा वेदना-
हम एकसरे सहि जाइ, अपरिचिते रहि जाइ
एतेक दिन एहि गाममे
अयना भय गेल,
मुदा, चिन्हार नहि अछि विकालक
एहि अन्हारमे;
अपने घर-आँगन।
अपने घर-आँगनमे चिकरइ छी
हम अपने टा नाम
प्रवासी, नगरवासी छी हम-ई उपराग
दैत अछि अपने-टा गाम
अपने-टा गाम
(रामकृष्ण झा ‘किसुन’ सम्पादित ‘मैथिलीक नव कविता’सँ: 1997)