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"सीखो / श्रीनाथ सिंह" के अवतरणों में अंतर
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− | फूलों से नित हँसना सीखो, भौंरों से नित | + | फूलों से नित हँसना सीखो, भौंरों से नित गाना। |
− | तरु की झुकी डालियों से नित सीखो शीश झुकाना | + | तरु की झुकी डालियों से नित, सीखो शीश झुकाना! |
− | सीख हवा के | + | सीख हवा के झोकों से लो, हिलना, जगत हिलाना! |
− | दूध | + | दूध और पानी से सीखो, मिलना और मिलाना! |
− | सूरज की किरणों से सीखो जगना और जगाना | + | सूरज की किरणों से सीखो, जगना और जगाना! |
− | लता और पेड़ों से सीखो सबको गले लगाना | + | लता और पेड़ों से सीखो, सबको गले लगाना! |
− | + | वर्षा की बूँदों से सीखो, सबसे प्रेम बढ़ाना! | |
− | + | मेहँदी से सीखो सब ही पर, अपना रंग चढ़ाना! | |
− | + | मछली से सीखो स्वदेश के लिए तड़पकर मरना! | |
− | + | पतझड़ के पेड़ों से सीखो, दुख में धीरज धरना! | |
− | जलधारा से सीखो आगे जीवन | + | पृथ्वी से सीखो प्राणी की सच्ची सेवा करना! |
− | और | + | दीपक से सीखो, जितना हो सके अँधेरा हरना! |
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+ | जलधारा से सीखो, आगे जीवन पथ पर बढ़ना! | ||
+ | और धुएँ से सीखो हरदम ऊँचे ही पर चढ़ना! | ||
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16:25, 21 अगस्त 2015 के समय का अवतरण
फूलों से नित हँसना सीखो, भौंरों से नित गाना।
तरु की झुकी डालियों से नित, सीखो शीश झुकाना!
सीख हवा के झोकों से लो, हिलना, जगत हिलाना!
दूध और पानी से सीखो, मिलना और मिलाना!
सूरज की किरणों से सीखो, जगना और जगाना!
लता और पेड़ों से सीखो, सबको गले लगाना!
वर्षा की बूँदों से सीखो, सबसे प्रेम बढ़ाना!
मेहँदी से सीखो सब ही पर, अपना रंग चढ़ाना!
मछली से सीखो स्वदेश के लिए तड़पकर मरना!
पतझड़ के पेड़ों से सीखो, दुख में धीरज धरना!
पृथ्वी से सीखो प्राणी की सच्ची सेवा करना!
दीपक से सीखो, जितना हो सके अँधेरा हरना!
जलधारा से सीखो, आगे जीवन पथ पर बढ़ना!
और धुएँ से सीखो हरदम ऊँचे ही पर चढ़ना!