भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"भले भाल पर बिन्दु सिन्दूर सोहै / प्रेमघन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन' |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(कोई अंतर नहीं)

17:19, 30 जनवरी 2016 का अवतरण

भले भाल पै बिन्दु सिन्दूर सोहै,
लखे जाहिके कोटि कन्दर्प मोहै।
घन श्याम से ह्याँ घनश्याम राजैं,
इतै दामिनी हूँ तिया देख लाजैं॥