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"जाने वालों से राब्ता रखना / निदा फ़ाज़ली" के अवतरणों में अंतर
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दोस्तो रस्म-ए-फातिहा रखना | दोस्तो रस्म-ए-फातिहा रखना | ||
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घर की तामीर चाहे जैसी हो | घर की तामीर चाहे जैसी हो | ||
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इसमें रोने की कुछ जगह रखना | इसमें रोने की कुछ जगह रखना | ||
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मस्जिदें हैं नमाजियों के लिए | मस्जिदें हैं नमाजियों के लिए | ||
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अपने घर में कहीं खुदा रखना | अपने घर में कहीं खुदा रखना | ||
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जिस्म में फैलने लगा है शहर | जिस्म में फैलने लगा है शहर | ||
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अपनी तन्हाईयाँ बचा रखना | अपनी तन्हाईयाँ बचा रखना | ||
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उमर करने को है पचास को पार | उमर करने को है पचास को पार | ||
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कौन है किस जगह पता रखना | कौन है किस जगह पता रखना | ||
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14:30, 8 फ़रवरी 2016 के समय का अवतरण
जाने वालों से राब्ता रखना
दोस्तो रस्म-ए-फातिहा रखना
घर की तामीर चाहे जैसी हो
इसमें रोने की कुछ जगह रखना
मस्जिदें हैं नमाजियों के लिए
अपने घर में कहीं खुदा रखना
जिस्म में फैलने लगा है शहर
अपनी तन्हाईयाँ बचा रखना
उमर करने को है पचास को पार
कौन है किस जगह पता रखना