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"प्यारे का पंथ / शब्द प्रकाश / धरनीदास" के अवतरणों में अंतर
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− | + | त्यागि घर वार लोक-चार मया मोह, जारि, धरनी विना विकार सार वैन वोलहीं। | |
− | + | जीव-दया जीवन धरि हियामें हुलास करि, हीरा मणि मोती झरे मोलके अमोल हीं॥ | |
− | + | अनसुनी सुनहि अदेख देख देखि कँह, अगम को सुगम अखोल द्वार खोलहीं। | |
− | + | वावरे वेचारे मनियारे मतवारे भगे, प्यारे की॥28॥ | |
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11:12, 21 जुलाई 2016 के समय का अवतरण
त्यागि घर वार लोक-चार मया मोह, जारि, धरनी विना विकार सार वैन वोलहीं।
जीव-दया जीवन धरि हियामें हुलास करि, हीरा मणि मोती झरे मोलके अमोल हीं॥
अनसुनी सुनहि अदेख देख देखि कँह, अगम को सुगम अखोल द्वार खोलहीं।
वावरे वेचारे मनियारे मतवारे भगे, प्यारे की॥28॥