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"अंग दर्पण / भाग 7 / रसलीन" के अवतरणों में अंतर

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सुदँती के मुसकात यों अधरन आभा होति।
 
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ललन कपट सौतिन गरब हास कियो सब नास।
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दंतकथा वा हसन की अवर कहो नहि जात।
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फूलझरी सी छुटत जब हँसि हँसि बोलति बात॥79॥
 
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08:03, 22 जुलाई 2016 के समय का अवतरण

तमोल-वर्णन

तरुनी अधरन अरुन पर यों रंग चढ़त तमोल।
ज्यों रंग जेठी कुसुम को रातत लाल निचोल॥68॥
चीन्हों रंग तमोल को दीन्हों अधरन बाल।
कीन्हीं विद्रुम सुरँग पै मानो मीनो लाल॥69॥

दसन-वर्णन

लाल चलत जिहिं ठौर वा बाल दसन की बात।
स्रवन सुनत ही सीप लों, मुकुतन तें भरि जात॥70॥

मोल लेन जो जगत जिय, विधि जौहरी प्रवीन।
राखे विदु्रम के डबा ले द्विज मुकुत नवीन॥71॥

अरुन दसन-वर्णन

दसन झलक मैं अरुनता, लख आवत मन माह।
परी दरन पर आय कै, अधर रंग की छांह॥72॥

अरुन दसन तुव बदन लहि को नहिं लह्यो प्रकास।
मंगलसुत आये पढ़न बिद्या बानी पास॥73॥

स्याम दसन-वर्णन

स्याम दसन अधरान मधि सोहति है इहि भांति।
कमल बीच बैठी मनो अलि छवनन की पाँति॥74॥

मुस्कान-वर्णन

अधरन बसि मुसुकानि तुव, तजि परकीर्ति निदान।
ज्यों कृपान अमृत धरे तऊ मारिहै प्रान॥75॥

बिजुरि बीज रदनन में अमी बदन में आनि।
याही तें दामिनि भई कामिनि की मुसुकानि॥76॥

सुदँती के मुसकात यों अधरन आभा होति।
मानहु मानिक पै परा आइ दामिनी जोति॥77॥

हास-वर्णन

ललन कपट सौतिन गरब हास कियो सब नास।
चंद्रहास सम भासई चंद्रमुखी को हास॥78॥

दंतकथा वा हसन की अवर कहो नहि जात।
फूलझरी सी छुटत जब हँसि हँसि बोलति बात॥79॥