लेखक: [[दुष्यंत कुमार]]{{KKGlobal}}[[Category:कविताएँ]]{{KKRachna[[Category:|रचनाकार=दुष्यंत कुमार]]|संग्रह=}}{{KKCatKavita}}<poem>जा तेरे स्वप्न बड़े हों।
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~भावना की गोद से उतर करजल्द पृथ्वी पर चलना सीखें।
जा तेरे स्वप्न बड़े हों।<br>भावना की गोद से उतर कर<br>जल्द पृथ्वी पर चलना सीखें।<br>चाँद तारों सी अप्राप्य ऊचाँइयों के लिये<br>रूठना मचलना सीखें।<br> हँसें<br>मुस्कुराऐं<br>मुस्कुराएँगाएँ।गाऐं।<br>हर दीये की रोशनी देखकर ललचायें<br>उँगली जलायें।<br>जलाएँ।अपने पाँव पर खड़े हों।<br>जा तेरे स्वप्न बड़े हों।<br><br/poem>