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"बार अंध्यारनि मैँ भटक्यो हौँ / दास" के अवतरणों में अंतर

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बार अंध्यारनि मैँ भटक्यो हौँ ,
 
बार अंध्यारनि मैँ भटक्यो हौँ ,
निकारयो मैँ नीठि सुबुद्धिन सोँ धरि ।
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निकारयो मैँ नीठि सुबुद्धिन सोँ धरि।
 
बूढ़त आनन पानिय भीर,
 
बूढ़त आनन पानिय भीर,
पहीर की आंड़ सोँ तीर लग्यो तिरि ।
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पहीर की आंड़ सोँ तीर लग्यो तिरि।
 
मो मन बावरो योँ ही हुत्यो ,
 
मो मन बावरो योँ ही हुत्यो ,
अधरा मधु पान कै मूढ़ छक्यो फिरि ।
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अधरा मधु पान कै मूढ़ छक्यो फिरि।
 
दास कहौ अब कैसे कढ़े ,
 
दास कहौ अब कैसे कढ़े ,
निज चाय सो ठोढ़ी के गाड़ परयो गिरि ।
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निज चाय सो ठोढ़ी के गाड़ परयो गिरि।
 
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''' दास का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।
 
''' दास का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।
 
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04:21, 16 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण

बार अंध्यारनि मैँ भटक्यो हौँ ,
निकारयो मैँ नीठि सुबुद्धिन सोँ धरि।
बूढ़त आनन पानिय भीर,
पहीर की आंड़ सोँ तीर लग्यो तिरि।
मो मन बावरो योँ ही हुत्यो ,
अधरा मधु पान कै मूढ़ छक्यो फिरि।
दास कहौ अब कैसे कढ़े ,
निज चाय सो ठोढ़ी के गाड़ परयो गिरि।

दास का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।