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"झरी / रमेश क्षितिज" के अवतरणों में अंतर
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टुक्रिएछ गमला यो म फुटेँ कि माटो फुट्यो ? | टुक्रिएछ गमला यो म फुटेँ कि माटो फुट्यो ? | ||
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20:26, 23 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण
बलेसीमा पानी तप्क्यो म रोएँ कि आकास रोयो ?
चट्याङ पयो यतै कतै मूच्र्छनाले मलाई छोयो
बादलको धेरै पीडा सगरको छातीभरि
पानी बग्यो आँसु बग्यो सँगै रोयौँ रातभरि !
अँगेनोमा आगो बल्यो म जलेँ कि दाउरा जल्यो ?
हुरी चल्यो यतै कतै मेरो मनको फूल ढल्यो
केको यस्तो आवाज हो थर्किदैछ रनवन ?
कतै मेरो च्यातियो कि आफ्नै कमजोर मन !
टुक्रिएछ गमला यो म फुटेँ कि माटो फुट्यो ?
आँधी चल्यो यतै कतै मेरो गुँडको चरी उड्यो !