भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"विद्याभूषण मिश्र / परिचय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('<poem> इन्होंने हिन्दी में स्नातकोत्तर तक की शिक्षा प्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 +
{{KKGlobal}}
 +
{{KKRachnakaarParichay
 +
|रचनाकार=विद्याभूषण मिश्र
 +
}}
 
<poem>
 
<poem>
 
इन्होंने हिन्दी में स्नातकोत्तर तक की शिक्षा प्राप्त की। ये शिक्षक थे। 1946 से लेखन आरम्भ किया। इन्होंने हिन्दी और छत्तीसगढ़ी में एक साथ लेखन किया। हिन्दी में इन्होंने सती सावित्री, करुणांजली, सुधियों के स्वर, मन का वृन्दावन जलता है आदि पुस्तकों की रचना की। इनके गीत मयारू माटी एवं लोकाक्षर जैसी पत्रिकाओं में छपे एवं भोपाल, रायपुर, बिलासपुर के आकाशवाणी केन्द्रों से प्रसारित भी हुए। निराला साहित्य मंडल, चांपा के अध्यक्ष रहे। इनके संपादन में चांपा दर्शन, गीतवल्लरी, पुकार आदि शीर्षक से पुस्तकें प्रकाशित हुईं।
 
इन्होंने हिन्दी में स्नातकोत्तर तक की शिक्षा प्राप्त की। ये शिक्षक थे। 1946 से लेखन आरम्भ किया। इन्होंने हिन्दी और छत्तीसगढ़ी में एक साथ लेखन किया। हिन्दी में इन्होंने सती सावित्री, करुणांजली, सुधियों के स्वर, मन का वृन्दावन जलता है आदि पुस्तकों की रचना की। इनके गीत मयारू माटी एवं लोकाक्षर जैसी पत्रिकाओं में छपे एवं भोपाल, रायपुर, बिलासपुर के आकाशवाणी केन्द्रों से प्रसारित भी हुए। निराला साहित्य मंडल, चांपा के अध्यक्ष रहे। इनके संपादन में चांपा दर्शन, गीतवल्लरी, पुकार आदि शीर्षक से पुस्तकें प्रकाशित हुईं।
 
</poem>
 
</poem>

00:31, 21 अक्टूबर 2016 का अवतरण

इन्होंने हिन्दी में स्नातकोत्तर तक की शिक्षा प्राप्त की। ये शिक्षक थे। 1946 से लेखन आरम्भ किया। इन्होंने हिन्दी और छत्तीसगढ़ी में एक साथ लेखन किया। हिन्दी में इन्होंने सती सावित्री, करुणांजली, सुधियों के स्वर, मन का वृन्दावन जलता है आदि पुस्तकों की रचना की। इनके गीत मयारू माटी एवं लोकाक्षर जैसी पत्रिकाओं में छपे एवं भोपाल, रायपुर, बिलासपुर के आकाशवाणी केन्द्रों से प्रसारित भी हुए। निराला साहित्य मंडल, चांपा के अध्यक्ष रहे। इनके संपादन में चांपा दर्शन, गीतवल्लरी, पुकार आदि शीर्षक से पुस्तकें प्रकाशित हुईं।