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"फ़ितरतों से दूर उसकी मुफ़लिसी अच्छी लगी / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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09:37, 2 जनवरी 2017 के समय का अवतरण
फ़ितरतों से दूर उसकी मुफ़लिसी अच्छी लगी
उसका घर अच्छा लगा, उसकी गली अच्छी लगी।
वो पुजारी है बजाये शंख उसकी बात और
हाथ छोटे हैं हमारे बाँसुरी अच्छी लगी।
ना कहीं कुंडी लगी है, ना कहीं ताला जड़ा
इन परिन्दों को हमारी कोठरी अच्छी लगी।
एक दुश्मन त्यागकर वर्षों पुरानी दुश्मनी
फिर गले आकर लगा तो दोस्ती अच्छी लगी।
फिर नदी के पास जायें, फिर कुआँ खोदें कोई
इसलिए प्यासे लबों की तश्नगी अच्छी लगी।
इन पतंगो का जुनूँ भी क़ाबिले तारीफ़ है
चार पल की ज़िंदगी हिम्मत भरी अच्छी लगी।