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"जिनके जज़्बे में जान होती है / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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10:28, 2 जनवरी 2017 के समय का अवतरण

जिनके जज़्बे में जान होती है
हौसलों में उड़ान होती है।

जो ज़माने के काम आती है
शख़्सियत वो महान होती है।

सबको क़़ु़दरत ने बोलियाँ दी हैं
आदमी के ज़़ुबान होती है।

ये परिन्दे भी जाग जाते हैं
भोर की जब अज़ान होती है।

सब किताबें हैं बाद में, पहले
भूख की दास्तान होती है।

हम मुसाफिर हैं रुक नहीं सकते
पाँव में बस थकान होती है।