भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"क्यों ये अंतिम पत्र लिखा / प्रमोद तिवारी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रमोद तिवारी |अनुवादक= |संग्रह=म...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
12:59, 23 जनवरी 2017 के समय का अवतरण
यह मत पूछो मैंने तुमको
क्यों ये अंतिम पत्र लिखा
बहती हुई नदी के जल में
जलता हुआ पहाड़ दिखा
खत को पढ़ना
पढ़कर सहना
सहकर साथ सुला लेना
कभी स्वप्न में
अगर अकेले होना
हमें बुला लेना
हम बतलाएंगे क्यों कांपी
अनायास ही दीप शिखा
चर्चाओं में
जब न कटेंगे
दिन स्मृतियों में होंगे
अपने बीते पल
सारी दुनिया की
कृतियों में होंगे
सीमाओं को लांघ गया तो
समझो कौड़ी मोल बिका