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"यही नहीं / शिवबहादुर सिंह भदौरिया" के अवतरणों में अंतर
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13:27, 17 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण
लता लिपटे
हरसिंगार के नीचे बैठें
आँखों आँखों लहरें...
लहरायें
तलहीन गहराइयों में पैठें
पैठते चले जायें;
पर
जब भी कोई
डूबना-डुबाना चाहे,
दृष्टियाँ खींच लें,
शब्द की रज्जु पकड़ लें
ऊपर उतरायें
होठों-होठों दुहरायें
नहीं....नहीं....नहीं
यह नहीं।