भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"दीपावली / कुमार कृष्ण" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुमार कृष्ण |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
21:10, 8 मार्च 2017 के समय का अवतरण
आग के पर्व पर
जो नहीं करते मिठाई का इन्तजार
वे भी देखते हैं रेशमी रजाई के सपनें
वे भी करते हैं दाल-भात से
लक्ष्मी की पुश्तैनी पूजा
यह दूसरी बात है उनके घर
न कभी लक्ष्मी आती है न रजाई
वे पुआल की टहनियों पर ही उगा लेते हैं-
सपनों के अनगिनत फूल
और करते हैं इन्तजार
अगले आग के उत्सव का।
