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"ज़िंदगी दो-चार पल बहला गये / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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− | ज़िंदगी दो-चार पल बहला | + | ज़िंदगी दो-चार पल बहला गये |
हुस्न की ताक़त मुझे दिखला गये। | हुस्न की ताक़त मुझे दिखला गये। | ||
− | बढ़ गया जब इश्क का मेरे जुनूँ | + | बढ़ गया जब इश्क का मेरे जुनूँ |
चाँदनी की धार में नहला गये। | चाँदनी की धार में नहला गये। | ||
− | प्यार के दो बोल मीठे बोलकर | + | प्यार के दो बोल मीठे बोलकर |
आइने-सी आँख को पिघला गये। | आइने-सी आँख को पिघला गये। | ||
− | कब लगे वो अजनबी जैसे मुझे | + | कब लगे वो अजनबी जैसे मुझे |
कब मेरे वो अंक में इठला गये। | कब मेरे वो अंक में इठला गये। | ||
− | कब खुशी से भर दिया मेरा हृदय | + | कब खुशी से भर दिया मेरा हृदय |
कब कलेजा भी मेरा दहला गये। | कब कलेजा भी मेरा दहला गये। | ||
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16:30, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
ज़िंदगी दो-चार पल बहला गये
हुस्न की ताक़त मुझे दिखला गये।
बढ़ गया जब इश्क का मेरे जुनूँ
चाँदनी की धार में नहला गये।
प्यार के दो बोल मीठे बोलकर
आइने-सी आँख को पिघला गये।
कब लगे वो अजनबी जैसे मुझे
कब मेरे वो अंक में इठला गये।
कब खुशी से भर दिया मेरा हृदय
कब कलेजा भी मेरा दहला गये।