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"हमने गर आसमाँ उठाया है / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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जगहें सबके लिए बनाया है।
 
जगहें सबके लिए बनाया है।
  
सूर्इ्र ने कब कहाँ सिलाई की
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सूर्इ ने कब कहाँ सिलाई की
 
धागे को रास्ता दिखाया है।
 
धागे को रास्ता दिखाया है।
  

15:17, 24 अगस्त 2017 का अवतरण

हमने गर आसमाँ उठाया है
जगहें सबके लिए बनाया है।

सूर्इ ने कब कहाँ सिलाई की
धागे को रास्ता दिखाया है।

कोई तालाब बन गया होगा
कोठी ऊँची अगर उठाया है।
 
आँखें रखने का है गिला हमको
अंधों ने आइना दिखाया है।

बेसुध हो लोग सो गये जब-जब
हमने आवाज़ दे जगाया है।