भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"यात्रा में / इंदुशेखर तत्पुरुष" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=इंदुशेखर तत्पुरुष |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

11:09, 3 दिसम्बर 2017 के समय का अवतरण

यात्रा में हर बार
पुरातन कुछ छूट जाता है
और आ मिलता कुछ नवीन।

यह पगथलियों के साथ आने वाले
अथवा अंजुरी में भर जाने वाले
मिट्टी-जल-फूल-पत्तियों के बारे में नहीं है।

यह आकाश के तारों के लिए है
जो आंखों में आ बसते हर यात्रा में
और छूट जाते
आंसुओं की तरह।