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"बारिश : एक / इंदुशेखर तत्पुरुष" के अवतरणों में अंतर
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जी भर नहायी है
यह पहाड़ी
इस बार बारिश में
हरी हो गई तबियत
गोद भी।
यूं ही नहीं निखार
आता अंग-अंग में
उभरी पुष्ट शिलओं पर
सलोनी कालिमा।