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"राग-विराग : एक / इंदुशेखर तत्पुरुष" के अवतरणों में अंतर

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17:42, 26 दिसम्बर 2017 के समय का अवतरण

इतना कमजोर नहीं होता
जो खींचने पर टूट जाए।
कसकर खींचते-खींचते अंगुलियां ही
हो जाती रक्त से लथपथ
और मुट्ठियों की सख्त पकड़ से
फिसल जाता रक्त-रंजित धागा।

क्षमा करना बाबा रहीम!
इस्पात के तार की तरह
अटूट होता है
प्यार का धागा
जो खींचने पर कर देता लहूलुहान
पर टूटता कभी नहीं।