"नया तरीका / नागार्जुन" के अवतरणों में अंतर
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) छो (नया तरीका moved to नया तरीका / नागार्जुन) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किये गये बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | रचनाकार | + | {{KKGlobal}} |
− | + | {{KKRachna | |
− | + | |रचनाकार=नागार्जुन | |
− | + | |संग्रह=हज़ार-हज़ार बाहों वाली / नागार्जुन | |
− | + | }} | |
− | + | {{KKCatKavita}} | |
− | दो हज़ार मन | + | <poem> |
− | + | दो हज़ार मन गेहूँ आया दस गाँवों के नाम | |
− | राधे चक्कर लगा काटने, सुबह हो | + | राधे चक्कर लगा काटने, सुबह हो गई शाम |
− | + | ||
− | + | ||
+ | सौदा पटा बड़ी मुश्किल से, पिघले नेताराम | ||
पूजा पाकर साध गये चुप्पी हाकिम-हुक्काम | पूजा पाकर साध गये चुप्पी हाकिम-हुक्काम | ||
− | भारत-सेवक जी | + | भारत-सेवक जी को था अपनी सेवा से काम |
− | + | खुला चोर-बाज़ार, बढ़ा चोकर-चूनी का दाम | |
− | खुला चोर-बाज़ार, | + | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
+ | भीतर झुरा गई ठठरी, बाहर झुलसी चाम | ||
+ | भूखी जनता की ख़ातिर आज़ादी हुई हराम | ||
नया तरीका अपनाया है राधे ने इस साल | नया तरीका अपनाया है राधे ने इस साल | ||
− | |||
बैलों वाले पोस्टर साटे, चमक उठी दीवाल | बैलों वाले पोस्टर साटे, चमक उठी दीवाल | ||
नीचे से लेकर ऊपर तक समझ गया सब हाल | नीचे से लेकर ऊपर तक समझ गया सब हाल | ||
− | |||
सरकारी गल्ला चुपके से भेज रहा नेपाल | सरकारी गल्ला चुपके से भेज रहा नेपाल | ||
अन्दर टंगे पडे हैं गांधी-तिलक-जवाहरलाल | अन्दर टंगे पडे हैं गांधी-तिलक-जवाहरलाल | ||
− | |||
चिकना तन, चिकना पहनावा, चिकने-चिकने गाल | चिकना तन, चिकना पहनावा, चिकने-चिकने गाल | ||
चिकनी किस्मत, चिकना पेशा, मार रहा है माल | चिकनी किस्मत, चिकना पेशा, मार रहा है माल | ||
− | |||
नया तरीका अपनाया है राधे ने इस साल | नया तरीका अपनाया है राधे ने इस साल | ||
− | + | (१९५८) | |
− | + | </poem> |
11:18, 16 फ़रवरी 2018 के समय का अवतरण
दो हज़ार मन गेहूँ आया दस गाँवों के नाम
राधे चक्कर लगा काटने, सुबह हो गई शाम
सौदा पटा बड़ी मुश्किल से, पिघले नेताराम
पूजा पाकर साध गये चुप्पी हाकिम-हुक्काम
भारत-सेवक जी को था अपनी सेवा से काम
खुला चोर-बाज़ार, बढ़ा चोकर-चूनी का दाम
भीतर झुरा गई ठठरी, बाहर झुलसी चाम
भूखी जनता की ख़ातिर आज़ादी हुई हराम
नया तरीका अपनाया है राधे ने इस साल
बैलों वाले पोस्टर साटे, चमक उठी दीवाल
नीचे से लेकर ऊपर तक समझ गया सब हाल
सरकारी गल्ला चुपके से भेज रहा नेपाल
अन्दर टंगे पडे हैं गांधी-तिलक-जवाहरलाल
चिकना तन, चिकना पहनावा, चिकने-चिकने गाल
चिकनी किस्मत, चिकना पेशा, मार रहा है माल
नया तरीका अपनाया है राधे ने इस साल
(१९५८)