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"हम ने जब भी अँधेरों से रिश्ता किया / रंजना वर्मा" के अवतरणों में अंतर
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हम ने जब भी अंधेरों से रिश्ता किया | हम ने जब भी अंधेरों से रिश्ता किया | ||
जुगनुओं को सितारों से समझा किया | जुगनुओं को सितारों से समझा किया | ||
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दो घड़ी चैन की ग़र कहीं मिल गयी | दो घड़ी चैन की ग़र कहीं मिल गयी | ||
बस वहीं बैठ कर थोड़ा सुस्ता लिया | बस वहीं बैठ कर थोड़ा सुस्ता लिया | ||
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खुद को जिंदा रखा हम ने हर हाल में | खुद को जिंदा रखा हम ने हर हाल में | ||
रब ने जो भी दिया सर झुकाया लिया | रब ने जो भी दिया सर झुकाया लिया | ||
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हर वरक पर रहा नाम उस का लिखा | हर वरक पर रहा नाम उस का लिखा | ||
जब भी देखा उसे हम ने सिजदा किया | जब भी देखा उसे हम ने सिजदा किया | ||
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इतना आसां नहीं है उसे जानना | इतना आसां नहीं है उसे जानना | ||
वो तो खुद से हमेशा है भागा किया | वो तो खुद से हमेशा है भागा किया | ||
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तुझ से कोई कसम ना निभायी गयी | तुझ से कोई कसम ना निभायी गयी | ||
था जमाने से क्यों तू ने वादा किया | था जमाने से क्यों तू ने वादा किया | ||
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डोलियों की हैं लगने लगीं बोलियाँ | डोलियों की हैं लगने लगीं बोलियाँ | ||
इसलिये मौत से उस ने रिश्ता किया | इसलिये मौत से उस ने रिश्ता किया | ||
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19:10, 3 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
हम ने जब भी अंधेरों से रिश्ता किया
जुगनुओं को सितारों से समझा किया
दो घड़ी चैन की ग़र कहीं मिल गयी
बस वहीं बैठ कर थोड़ा सुस्ता लिया
खुद को जिंदा रखा हम ने हर हाल में
रब ने जो भी दिया सर झुकाया लिया
हर वरक पर रहा नाम उस का लिखा
जब भी देखा उसे हम ने सिजदा किया
इतना आसां नहीं है उसे जानना
वो तो खुद से हमेशा है भागा किया
तुझ से कोई कसम ना निभायी गयी
था जमाने से क्यों तू ने वादा किया
डोलियों की हैं लगने लगीं बोलियाँ
इसलिये मौत से उस ने रिश्ता किया