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"प्यार जब मरता है / सुनीता जैन" के अवतरणों में अंतर

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11:52, 17 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

प्यार जब मरता है
तो मृत्यु से भी सघन मरता है
क्योंकि किसी दूसरे जन्म में
फिर जीवित होने के लिए नहीं मरता,
बस मरता है

यह प्रचंड सन्ताप,
यह खालीपन,
यह दुर्भिक्ष के दिन जैसा मन,
यदि हैं तो ठीक ही हैं-

मरना किसी का भी हो
कुछ तो दुखी करता है