भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आरती / 3 / भिखारी ठाकुर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भिखारी ठाकुर |अनुवादक= |संग्रह=आर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
}}
 
}}
 
{{KKCatGeet}}
 
{{KKCatGeet}}
 +
{{KKCatBhojpuriRachna}}
 
<poem>
 
<poem>
 
प्रसंग:
 
प्रसंग:

17:37, 16 मई 2018 के समय का अवतरण

प्रसंग:

मृत्यु-मुद्रावाले मदनगोपाल श्रीकृष्ण की इस आरती में नाटयकर्मी उनके दर्शन की याचना करता है।

तेबड़ा

जय जय जयति मदन गोपाल॥टेक॥
करत नृत्य बलराम माधो संग बहुत ब्रजबाल।
केहू बजावत झाल-सरंगी, केहू बा पीटत पराल॥
मोर मुकुट बिराजे कछनी सोहत कुण्डल-माल।
सरसे गावत राग गौरी चलत छम छम चाल॥
कहे ‘भिखारी’ देहु दरस नित मोहिके देवकी लाल। जय जय जयति मदन गोपाल॥