भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सजनि, ऋतु मादिनी / रामइकबाल सिंह 'राकेश'" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामइकबाल सिंह 'राकेश' |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | + | वागीश्वरी: झपताल | |
− | + | सजनि, ऋतु मादिनी; | |
− | + | मन्धमधुदानिनी मधुरपिकानादिनी। | |
− | + | मलय-चदन-सुरभि-स्नात दक्षिण पवन, | |
− | + | कंुज-कानन मगन, नाद-नन्दित गगन, | |
− | गगन | + | सांगरागा धरा नयन अभिरामिनी। |
− | + | लुब्ध मधु-मकरन्द मुखर मधुकर-निकर, | |
− | + | राग-स्वर-शर-विद्ध-निमिष-लव-पल-पहर, | |
− | + | फुल्लमुकुलित लता कनकवर्णांगिनी। | |
− | ( | + | अरुण म´््िजष्ठ द्रुम-शिखर किसलय-ज्वलित, |
+ | शोकदीपन विरह-विषम-ज्वरतप्तकृत, | ||
+ | कुसुमज्वालाशिखा दुसहदुखदायिनी। | ||
+ | |||
+ | (15 मार्च, 1974) | ||
</poem> | </poem> |
15:52, 18 मई 2018 के समय का अवतरण
वागीश्वरी: झपताल
सजनि, ऋतु मादिनी;
मन्धमधुदानिनी मधुरपिकानादिनी।
मलय-चदन-सुरभि-स्नात दक्षिण पवन,
कंुज-कानन मगन, नाद-नन्दित गगन,
सांगरागा धरा नयन अभिरामिनी।
लुब्ध मधु-मकरन्द मुखर मधुकर-निकर,
राग-स्वर-शर-विद्ध-निमिष-लव-पल-पहर,
फुल्लमुकुलित लता कनकवर्णांगिनी।
अरुण म´््िजष्ठ द्रुम-शिखर किसलय-ज्वलित,
शोकदीपन विरह-विषम-ज्वरतप्तकृत,
कुसुमज्वालाशिखा दुसहदुखदायिनी।
(15 मार्च, 1974)