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"क्या करें स्वावलम्बन के लिए? / कमलकांत सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

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आज से कल बेहतर होगा।
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क्या करें स्वावलम्बन के लिए? चरखा चलाइये।
अपना कोई आखिर होगा।
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क्या करें सद्आचरण के लिए? चरखा चलाइये।
  
धरती पर जन्मे और मरे
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नियम विरोधी मानसिकता और मन में दासता
ऐसा घर और किधर होगा।
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क्या करें मन जागरण के लिए? चरखा चलाइये।
  
कांटों के पथ पर चल लेंगे
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आदमी बौना हो गया, समस्याएँ सुरसा-सी
यदि आगे फूल नगर होगा।
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क्या करें हम नियंत्रण के लिए? चरखा चलाइये।
  
तुमसी कोई नदिया होगी
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पोथियों के पृष्ठ रीते जैसे जीवन आजकल
हम-सा कोई सागर होगा।
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क्या करें आत्म-चिंतन के लिए? चरखा चलाइये।
  
दर्पण में कचनार खिलेंगे
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हिन्दू, हिन्दी, हिन्दुस्तान और हक के वास्ते
आँखों में गुलमोहर होगा।
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क्या करें हर बांकपन के लिए? चरखा चलाइये।
  
कह लेंगे जब एक ग़ज़ल हम
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वर्ण कृपण, ओछे शब्द, अनुभूतियाँ हैं खोखली
एक कमल भी अक्षर होगा।
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क्या करें नव-व्याकरण के लिए? चरखा चलाइये।
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शांति होगी इस धरा पर या कि अराजकता 'कमल'
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क्या करें मत-आकलन के लिए? चरखा चलाइये।
 
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14:06, 25 मई 2018 के समय का अवतरण

क्या करें स्वावलम्बन के लिए? चरखा चलाइये।
क्या करें सद्आचरण के लिए? चरखा चलाइये।

नियम विरोधी मानसिकता और मन में दासता
क्या करें मन जागरण के लिए? चरखा चलाइये।

आदमी बौना हो गया, समस्याएँ सुरसा-सी
क्या करें हम नियंत्रण के लिए? चरखा चलाइये।

पोथियों के पृष्ठ रीते जैसे जीवन आजकल
क्या करें आत्म-चिंतन के लिए? चरखा चलाइये।

हिन्दू, हिन्दी, हिन्दुस्तान और हक के वास्ते
क्या करें हर बांकपन के लिए? चरखा चलाइये।

वर्ण कृपण, ओछे शब्द, अनुभूतियाँ हैं खोखली
क्या करें नव-व्याकरण के लिए? चरखा चलाइये।

शांति होगी इस धरा पर या कि अराजकता 'कमल'
क्या करें मत-आकलन के लिए? चरखा चलाइये।