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"बरसती बारिशों की धुन पे लम्हे गुनगुनाते हैं / तुम्हारे लिए, बस / मधुप मोहता" के अवतरणों में अंतर
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ये इक सैलाब है, इसमें डूब जाते हैं, | ये इक सैलाब है, इसमें डूब जाते हैं, | ||
17:12, 13 जून 2018 का अवतरण
बरसती बारिशों की धुन पे लम्हे गुनगुनाते हैं
वो बरबस याद आते हैं, बरस यू भीग जाते हैं,
किसी गुमनाम बस्ती के किसी अनजान रस्ते पर
मिला वो अजनबी, तो यूँ लगा, जन्मों के नाते हैं,
कहानी की किताबों में न ढूँढ़ो प्यार का मतलब
ये इक सैलाब है, इसमें डूब जाते हैं,
नई तहज़ीब है, बाज़ार खुलने पे ये तय होगा
किसे वो भूल जाते हैं, किसे अपना बनाते हैं,
मुहब्बत एक धोखा है, उसे अब कौन समझाए
न क़समें हैं, न वादे हैं, न रिश्ते हैं, न नाते हैं।