भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"देवी गीत 1 / रामरक्षा मिश्र विमल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) छो (Sharda suman ने देवी गीत 1 / रामरक्षा मिश्र 'विमल' पृष्ठ देवी गीत 1 / रामरक्षा मिश्र विमल पर स्थानांतरित क...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
19:47, 4 अगस्त 2018 के समय का अवतरण
रे मनवा माई के जय बोल.
भरमत रहबऽ असहीं हरदम, माया के जय गोल.
नीमन पहिरन चीकन भोजन मनलऽ तन अनमोल
बाकिर एक दिन उड़ि जाई सुगना पिंजरा के खोल.
जय माँ दुर्गे जय माँ काली जग में सुंदर बोल
ईहे राह दिखा के भव के बंधन दीही खोल.
जीव जगत में दरसन कइ लऽ माई के अनमोल
विमल रङा लऽ भगति चुनरिया छोड़ऽ टालमटोल.