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"तमाज़तों से भरी रहगुज़र में छोड़ गया / मेहर गेरा" के अवतरणों में अंतर

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09:18, 29 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण

 
तमाज़तों से भरी रहगुज़र में छोड़ गया
मुझे वो जलती रुतों के सफ़र में छोड़ गया

वो गूंजती है हर इक सिम्त दश्ते माज़ी में
वो शख्स अपनी सदा हर शजर में छोड़ गया

बहाव तेज़ बहुत था नदी के पानी में
वो खुद तो बह गया मुझको भँवर में छोड़ गया।