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"सबका हमदम बूढ़ा पीपल / अनु जसरोटिया" के अवतरणों में अंतर

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13:21, 30 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण

सबका हमदम बूढ़ा पीपल
गांव का वो इकलौता पीपल

हर आते जाते को देखे
मुंह से कुछ नहीं कहता पीपल

इस आंगन से उस आंगन तक
तोड़ के बन्धन फैला पीपल

बांध दिया था आस का धागा
मन्दिर में जो देखा पीपल

खिलती जब भी नन्ही कोंपल
मन ही मन मुस्काता पीपल

हर पत्ता है उजला उजला
बारिश में जो भीगा पीपल

तुन्द हवा से लड़ता रहता
तूफ़ानों को सहता पीपल

वो दिन मुझ को याद है अब भी
अपने आंगन में था पीपल

सुनता भाड्ढण नेताओं के
सुन कर गुमसुम रहता पीपल

कौन गया परदेश गांव से
किसका रस्ता तकता पीपल

पंछी करते शब को बसेरा
कब होता है तन्हा पीपल

सबको ठण्ड़ी छाया देता
मेरे गांव का बूढा पीपल