भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"क्यों धरा है आज प्यासी इस तरह / मृदुला झा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मृदुला झा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGhazal...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
छो (Rahul Shivay ने क्यों धरा है आज प्यासी इसतरहए / मृदुला झा पृष्ठ [[क्यों धरा है आज प्यासी इस तरह / मृदुला झा]...)
(कोई अंतर नहीं)

20:31, 4 मई 2019 का अवतरण

हो रहीं नदियां सियासी इसतरह।

जान की परवा किसे है आजकलए
फैली है हरसू उदासी इसतरह।

रो रहे माँ बाप क्यों सुनसान मेंए
बढ़ रही क्यों बदहवासी इसतरह।

कौन जाने कब मिले इसकी दवाए
हो रही सबकी तलाशी इसतरह।

खुश रहें सबलोग इस संसार मेंए
दूर हो सबकी उदासी इसतरह।