भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"दिन महीने साल उनको याद ही करते रहे / मृदुला झा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मृदुला झा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGhazal...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) छो (Rahul Shivay ने दिन महीने साल उनको याद ही करते रहेए / मृदुला झा पृष्ठ [[दिन महीने साल उनको याद ही करते रहे /...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
20:40, 4 मई 2019 के समय का अवतरण
लौट आने की अभी तक राह हम तकते रहे।
दहशतों के खौफ़ को जड़ से मिटाने के लिएए
आग की लपटों से होकर कारवां चलते रहे।
आज के हालात पर जब उनसे कुछ पूछा गया
खूबियों को छोड़ कर वे खामियाँ गिनते रहे।
क्या मिला अधिकार है आघात करने के लिएए
कोख में ही बेटियों के प्राण क्यों हरते रहे।
जालिमों के जुल्म को कब तक सहें बोलो ष्मृदुलश्
चुप खड़े थे हम मगर इल्ज़ाम वो मढ़ते रहे।