भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आ गया मौसम सुहाना फाग का / मृदुला झा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मृदुला झा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGhazal...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) छो (Rahul Shivay ने आ गया मौसम सुहाना फाग काए / मृदुला झा पृष्ठ आ गया मौसम सुहाना फाग का / मृदुला झा पर स्थान...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
20:46, 4 मई 2019 के समय का अवतरण
गा रही कोयल तराना फाग का।
झूमती जूही चमेली बेफिकर,
कह रही अभिनव फसाना फाग का।
आज महफिल है सजी कुछ इस तरह,
गा रहा दिलकश शहाना फाग का।
ज़िन्दगी खुश हो उठी यह जानकर,
आ गया मौसम लुभाना फाग का।
मुंतजिर थे हम, गुजश्ता साल से,
टीस देता था न आना फाग का।
ढोल, वंशी झाल वो शहनाइयाँ,
पड़ गया किस्सा पुराना फाग का।
मौत की दहलीज़ पर आकर ‘मृदुल’,
छल गया झूठा बहाना फाग का।