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"जब जी उदास होता है / मृदुला झा" के अवतरणों में अंतर

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21:25, 4 मई 2019 के समय का अवतरण

कविता के पास होता है।

तन की थकान मिटती है,
मन में उजास होता है।

उठती जभी कलम अपनी,
वह आस-पास होता है।

उससे निगाह मिलते ही,
ग़म बदहवास होता है।

सारा जहान अपना हो,
मिलकर प्रयास होता है।

नीयत बुरी नहीं अपनी,
सबमें समास होता है।

मिल-जुल रहें, ‘मृदुल’ हम सब,
सबका विकास होता है।