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"झुरमुटों से झाँकता है चाँद अब / मृदुला झा" के अवतरणों में अंतर

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21:32, 4 मई 2019 के समय का अवतरण

बात करना चाहता है चाँद अब।

आ गया वह आज मेरे द्वार पर,
तीरगी संहारता है चाँद अब।

आम दिल में है समाई बात यह,
राज़ दिल का जानता है चाँद अब।

है बला की शोख सुन्दरता लिए,
वीथियों से झाँकता है चाँद अब।

खो गई जाकर अमां में चाँदनी,
ग़म में डूबा दीखता है चाँद अब।