भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सच की राहें चलना हरदम / मृदुला झा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मृदुला झा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGhazal...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) छो (Rahul Shivay ने सच की राहें चलना हरदमए / मृदुला झा पृष्ठ सच की राहें चलना हरदम / मृदुला झा पर स्थानांतरि...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
21:34, 4 मई 2019 के समय का अवतरण
ये कोशिश तुम करना हरदम।
अवरोधों से डरना कैसा,
सीना ताने चलना हरदम।
देश की खातिर जीना हरपल,
देश की खातिर मरना हरदम।
दुख से अब घबराना कैसा,
हँसकर दुख को सहना हरदम।
आँसू आते-जाते रहते,
उनसे क्यों कर डरना हरदम।