भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अपनी बेटी के लिए / स्तेफान स्पेन्डर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
छो () |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
− | |रचनाकार=स्तेफान स्पेन्डर | + | |रचनाकार=स्तेफान स्पेन्डर |
+ | |अनुवादक=रमेशचन्द्र शाह | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
<Poem> | <Poem> | ||
+ | टहल रहे हम साथ आज; | ||
+ | मैं, मेरी बिटिया | ||
+ | कितनी उजली पकड़ हाथ की उसके पूरे | ||
+ | मेरी इस उँगली पर । | ||
− | |||
− | |||
− | |||
आजीवन आलोक-वलय यह | आजीवन आलोक-वलय यह | ||
− | इस हड्डी के गिर्द | + | इस हड्डी के गिर्द करूँगा अनुभव मैं, जब |
− | हो जाएगी बड़ी | + | हो जाएगी बड़ी — आज से दूर, |
− | दूर देखती आँखें उस की अभी, आज ही | + | |
+ | कि जैसे | ||
+ | दूर देखती आँखें उस की अभी, | ||
+ | आज ही | ||
− | ''' | + | '''अँग्रेज़ी से अनुवाद : रमेशचन्द्र शाह''' |
</poem> | </poem> |
00:17, 3 जून 2019 के समय का अवतरण
टहल रहे हम साथ आज;
मैं, मेरी बिटिया
कितनी उजली पकड़ हाथ की उसके पूरे
मेरी इस उँगली पर ।
आजीवन आलोक-वलय यह
इस हड्डी के गिर्द करूँगा अनुभव मैं, जब
हो जाएगी बड़ी — आज से दूर,
कि जैसे
दूर देखती आँखें उस की अभी,
आज ही
अँग्रेज़ी से अनुवाद : रमेशचन्द्र शाह