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"कितने ऐश उड़ाते होंगे कितने इतराते होंगे / जॉन एलिया" के अवतरणों में अंतर

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मेरी साँस उखड़ते ही सब बैन करेंगे रोएंगे,  
 
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यानी मेरे बाद भी यानी साँस लिये जाते होंगे
 
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यारो कुछ तो हाल सुनाओ उस की क़यामत बाहों की,
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वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे
  
 
यारो कुछ तो बात बताओ उस की क़यामत बाहों की,
 
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वो जो सिमटते होंगे इन में वो तो मर जाते होंगे
 
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14:49, 21 अक्टूबर 2019 के समय का अवतरण

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कितने ऐश उड़ाते होंगे कितने इतराते होंगे
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे

उस की याद की बाद-ए-सबा में और तो क्या होता होगा,
यूँ ही मेरे बाल हैं बिखरे और बिखर जाते होंगे

बंद रहे जिन का दरवाज़ा ऐसे घरों की मत पूछो,
दीवारें गिर जाती होंगी आँगन रह जाते होंगे

मेरी साँस उखड़ते ही सब बैन करेंगे रोएंगे,
यानी मेरे बाद भी यानी साँस लिये जाते होंगे

यारो कुछ तो हाल सुनाओ उस की क़यामत बाहों की,
वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे

यारो कुछ तो बात बताओ उस की क़यामत बाहों की,
वो जो सिमटते होंगे इन में वो तो मर जाते होंगे