"हम करें राष्ट्र आराधन" के अवतरणों में अंतर
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+ | आई बनकर विपदायें | ||
+ | हमने अभिषेक किया था | ||
+ | जननी का अरिशोणित से | ||
+ | हमने श्रृंगार किया था | ||
+ | माता का अरिमुंडो से | ||
− | + | हमने ही उसे दिया था | |
− | + | सांस्कृतिक उच्च सिंहासन | |
− | अपना | + | माँ जिस पर बैठी सुख से |
− | हम करें राष्ट्र | + | करती थी जग का शासन |
+ | अब काल चक्र की गति से | ||
+ | वह टूट गया सिंहासन | ||
+ | अपना तन मन धन देकर | ||
+ | हम करें राष्ट्र आराधन</poem> | ||
− | + | नोट: यह कविता बहुचर्चित टीवी सीरीयल ’चाणक्य’ के एक एपीसोड में प्रयोग में लायी गयी है. | |
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17:10, 27 अप्रैल 2020 के समय का अवतरण
हम करें राष्ट्र आराधन, आराधन
हम करें राष्ट्र आराधन, आराधन
तन से, मन से, धन से
तन मन धन जीवन से
हम करें राष्ट्र आराधन, आराधन
अन्तर से, मुख से, कृति से
निश्छल हो निर्मल मति से
श्रद्धा से मस्तक नत से
हम करें राष्ट्र अभिवादन
हम करें राष्ट्र आराधन
अपने हँसते शैशव से
अपने खिलते यौवन से
प्रौढ़ता पूर्ण जीवन से
हम करें राष्ट्र का अर्चन
हम करें राष्ट्र का अर्चन
हम करें राष्ट्र आराधन
अपने अतीत को पढ़कर
अपना इतिहास उलटकर
अपना भवितव्य समझकर
हम करें राष्ट्र का चिंतन
हम करें राष्ट्र का चिंतन
हम करें राष्ट्र आराधन
है याद हमें युग युग की
जलती अनेक घटनायें
जो माँ की सेवा पथ पर
आई बनकर विपदायें
हमने अभिषेक किया था
जननी का अरिशोणित से
हमने श्रृंगार किया था
माता का अरिमुंडो से
हमने ही उसे दिया था
सांस्कृतिक उच्च सिंहासन
माँ जिस पर बैठी सुख से
करती थी जग का शासन
अब काल चक्र की गति से
वह टूट गया सिंहासन
अपना तन मन धन देकर
हम करें राष्ट्र आराधन
नोट: यह कविता बहुचर्चित टीवी सीरीयल ’चाणक्य’ के एक एपीसोड में प्रयोग में लायी गयी है.