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"रिश्तों की भीड़ में भी वो तन्हा खड़ा रहा / उर्मिलेश" के अवतरणों में अंतर

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15:05, 19 मई 2020 के समय का अवतरण

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रिश्तों की भीड़ में भी वो तन्हा खड़ा रहा
नदियाँ थी उसके पास वो प्यासा खड़ा रहा

सब उसको देख देख के बाहर चले गए
वो आईना था घर में अकेला खड़ा रहा

इस दौर में उस शख्स की हिम्मत तो देखिये
अपनों के बीच रहके भी ज़िन्दा खड़ा रहा

मेरे पिता की उम्र से कम थी न उसकी उम्र
वो गिर रहा था और मैं हँसता खड़ा रहा

बारिश हुई तो लोग सभी घर में छुप गए
वो घर की छत था इसलिए भीगा खड़ा रहा

उस घर में पांच बेटे थे,सब थे अलग अलग
इक बाप बनके उनकी समस्या खड़ा रहा

दुनिया को उसने रोशनी बाँटी तमाम उम्र
लेकिन वो अपनी आग में जलता खड़ा रहा