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"किसी को सर चढ़ाया जा रहा है / देवेन्द्र आर्य" के अवतरणों में अंतर
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किसी को सर चढ़ाया जा रहा है | किसी को सर चढ़ाया जा रहा है | ||
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कोई रक्तन रुलाया जा रहा है | कोई रक्तन रुलाया जा रहा है | ||
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ये आँखें आधुनिक दिखने लगेंगी | ये आँखें आधुनिक दिखने लगेंगी | ||
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नया सपना मंगाया जा रहा है | नया सपना मंगाया जा रहा है | ||
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जो पहले से खड़ा है हाशिए पर | जो पहले से खड़ा है हाशिए पर | ||
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कथाओं में नहीं अंट पा रहा जो | कथाओं में नहीं अंट पा रहा जो | ||
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बुजुर्गों ने जिसे पोसा है अब तक | बुजुर्गों ने जिसे पोसा है अब तक | ||
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वो रिश्ता अब भुनाया जा रहा है | वो रिश्ता अब भुनाया जा रहा है | ||
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हमारे बीच में जो अनकहा था | हमारे बीच में जो अनकहा था | ||
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वो शब्दों से मिटाया जा रहा है | वो शब्दों से मिटाया जा रहा है | ||
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मैं कुर्बानी का बकरा तो नहीं हूँ? | मैं कुर्बानी का बकरा तो नहीं हूँ? | ||
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बड़ी इज्जत से लाया जा रहा है | बड़ी इज्जत से लाया जा रहा है | ||
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18:12, 18 जून 2020 का अवतरण
किसी को सर चढ़ाया जा रहा है कोई रक्तन रुलाया जा रहा है
ये आँखें आधुनिक दिखने लगेंगी नया सपना मंगाया जा रहा है
जो पहले से खड़ा है हाशिए पर वही बाएँ दबाया जा रहा है
कथाओं में नहीं अंट पा रहा जो उसे कविता में लाया जा रहा है
बुजुर्गों ने जिसे पोसा है अब तक वो रिश्ता अब भुनाया जा रहा है
हमारे बीच में जो अनकहा था वो शब्दों से मिटाया जा रहा है
मैं कुर्बानी का बकरा तो नहीं हूँ? बड़ी इज्जत से लाया जा रहा है </poem>