"भादव हे सखि जन्म लीन्हा / मैथिली लोकगीत" के अवतरणों में अंतर
Sharda suman (चर्चा | योगदान) (' {{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह=ऋतू ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
{{KKCatMaithiliRachna}} | {{KKCatMaithiliRachna}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | भादव हे सखि जन्म लीन्हा | + | भादव हे सखि जन्म लीन्हा नगर मथुरा धाम यौ |
− | + | बसथि गोकुल ब्रज में कान्हा बनि यशोदा के लाल यौ। | |
− | + | ||
− | जाह पूतना यशोदा आँगन | + | आशिन हे सखि कंश सुनल कृष्ण लेल अवतार यौ |
− | कातिक हे सखि | + | जाह पूतना यशोदा आँगन कृष्ण लाहु उठाय यौ। |
− | + | ||
− | अगहन हे सखि आदर | + | कातिक हे सखि भेष बदलल लेल लहरी संग यौ |
− | धन्य भाग हमर द्वार | + | विहूसि पुछल यशोदाजी सँ बालक देखब तोर यौ। |
− | पूस हे सखि बालक देखल | + | |
− | + | अगहन हे सखि आदर दीन्हा आशीष देल भरि मोन यौ | |
− | माघ हे सखि हम | + | धन्य भाग हमर द्वार विप्र आयेल पाहून यौ। |
− | कंठ दाबल उदर | + | |
− | फागुन हे सखि हम | + | पूस हे सखि बालक देखल आशीष देल भरि मोन यौ |
− | बालक | + | लेल पूतना गोद अपन बदन विहूसि लागय यौ। |
− | चैत हे सखि | + | |
− | + | माघ हे सखि हम त जानल इहो थिका कंशक दूत यौ | |
− | + | कंठ दाबल उदर फारल पूतना गेल मुरझाई यौ। | |
− | + | ||
− | जेठ हे सखि | + | फागुन हे सखि हम नहीं जानल इहो थिका पूर्ण ब्रम्ह यौ |
− | संग सखा | + | बालक जानी हम गोदी लेलौं कृष्ण कैल जिवघात यौ। |
− | + | ||
− | लौका जे | + | चैत हे सखि नाग नाथल लेल पतरा हाथ यौ |
− | साओन हे सखि | + | चहू दीस मोहन घुमि आबथि बैसल यशोदा के कोर यौ। |
− | + | ||
+ | बैसाख हे सखि उसम लागे आनंद गोकुल लोक यौ | ||
+ | देह हुनका शोभनी पीताम्बर पैर में झुनकी बाजु यौ। | ||
+ | |||
+ | जेठ हे सखि गाय चराबथि साँझ के घुरथी मुरारी यौ | ||
+ | संग सखा मिली कुंज वन मे मुरली टेरथी भगवान यौ। | ||
+ | |||
+ | अखार हे सखि गम गम करैत अछि चहू दिस बरिसय मेघ यौ | ||
+ | लौका जे लौकई बिजुरी चमकै दमकै कान कुंडल यौ। | ||
+ | |||
+ | साओन हे सखि मास बारहम कृष्ण उतरथि पार यौ | ||
+ | हम भेलहुँ अधीन हरी के पुरल बारह मास यौ। | ||
+ | |||
</poem> | </poem> |
19:49, 4 जुलाई 2020 के समय का अवतरण
भादव हे सखि जन्म लीन्हा नगर मथुरा धाम यौ
बसथि गोकुल ब्रज में कान्हा बनि यशोदा के लाल यौ।
आशिन हे सखि कंश सुनल कृष्ण लेल अवतार यौ
जाह पूतना यशोदा आँगन कृष्ण लाहु उठाय यौ।
कातिक हे सखि भेष बदलल लेल लहरी संग यौ
विहूसि पुछल यशोदाजी सँ बालक देखब तोर यौ।
अगहन हे सखि आदर दीन्हा आशीष देल भरि मोन यौ
धन्य भाग हमर द्वार विप्र आयेल पाहून यौ।
पूस हे सखि बालक देखल आशीष देल भरि मोन यौ
लेल पूतना गोद अपन बदन विहूसि लागय यौ।
माघ हे सखि हम त जानल इहो थिका कंशक दूत यौ
कंठ दाबल उदर फारल पूतना गेल मुरझाई यौ।
फागुन हे सखि हम नहीं जानल इहो थिका पूर्ण ब्रम्ह यौ
बालक जानी हम गोदी लेलौं कृष्ण कैल जिवघात यौ।
चैत हे सखि नाग नाथल लेल पतरा हाथ यौ
चहू दीस मोहन घुमि आबथि बैसल यशोदा के कोर यौ।
बैसाख हे सखि उसम लागे आनंद गोकुल लोक यौ
देह हुनका शोभनी पीताम्बर पैर में झुनकी बाजु यौ।
जेठ हे सखि गाय चराबथि साँझ के घुरथी मुरारी यौ
संग सखा मिली कुंज वन मे मुरली टेरथी भगवान यौ।
अखार हे सखि गम गम करैत अछि चहू दिस बरिसय मेघ यौ
लौका जे लौकई बिजुरी चमकै दमकै कान कुंडल यौ।
साओन हे सखि मास बारहम कृष्ण उतरथि पार यौ
हम भेलहुँ अधीन हरी के पुरल बारह मास यौ।