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"अब के सावन में शरारत / गोपालदास "नीरज"" के अवतरणों में अंतर
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अब के सावन में शरारत ये मेरे साथ हुई | अब के सावन में शरारत ये मेरे साथ हुई | ||
− | मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई | + | मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई |
− | आप मत पूछिये क्या हम पे 'सफ़र में गुज़री ? | + | आप मत पूछिये क्या हम पे 'सफ़र में गुज़री? |
− | आज तक हमसे हमारी न मुलाकात हुई | + | आज तक हमसे हमारी न मुलाकात हुई |
हर गलत मोड़ पे टोका है किसी ने मुझको | हर गलत मोड़ पे टोका है किसी ने मुझको | ||
− | एक आवाज़ तेरी जब से मेरे साथ हुई | + | एक आवाज़ तेरी जब से मेरे साथ हुई |
मैंने सोचा कि मेरे देश की हालत क्या है | मैंने सोचा कि मेरे देश की हालत क्या है | ||
− | एक क़ातिल से तभी मेरी मुलाक़ात हुई | + | एक क़ातिल से तभी मेरी मुलाक़ात हुई</poem> |
18:48, 1 अगस्त 2020 के समय का अवतरण
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अब के सावन में शरारत ये मेरे साथ हुई
मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई
आप मत पूछिये क्या हम पे 'सफ़र में गुज़री?
आज तक हमसे हमारी न मुलाकात हुई
हर गलत मोड़ पे टोका है किसी ने मुझको
एक आवाज़ तेरी जब से मेरे साथ हुई
मैंने सोचा कि मेरे देश की हालत क्या है
एक क़ातिल से तभी मेरी मुलाक़ात हुई